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Saturday, July 28, 2012

भुला दे मुझको


रूठना तेरा... मेरी जान लिए जाता है
हस्ते हुए आ... और रुला दे मुझको 
मुझे याद कर के तकलीफ ही होती होगी
एक किस्सा हूँ पुराना... भुला दे मुझको


© कृष सुधांशु

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