A boy and a girl loved each other,
Unfortunately d boy died. . . .
After death he said to the girl
"Ek vaada tha tera har vade k peche,
TU milegi mujhe har darwaze k piche,
Par TU mujhe ruswa kar gayi,
Ek TU hi na thi mere janaze k peche".
Itne mein lakdi ki awaz aayi,
She said . . . . .
Ek vaada tha mera har vaade k peche,
Mai milungi tujhe har darwaze k peche,
Par tune hi mud k na dekha,
Ek aur janaza tha tere janaze k peche......
Welcome
Friday, October 3, 2008
Thursday, October 2, 2008
Missing my Frends
i m really missing my frends here,
i dont know whether they r missing or not but.......
i dont know whether they r missing or not but.......
Zindagi ye kis mor pe layi hai???
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend,
हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते,
फिर वही रुसवायी है.
घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.
मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है
KRISH SUDHANSHU
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend,
हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते,
फिर वही रुसवायी है.
घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.
मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है
KRISH SUDHANSHU
A new place.... Kolkata
Hi readers...
I m working as a customer care executive in AEGIS BPO, for VODAFONE (Bihar & Jharkhand).
I m posted at ESSAR House situeted at sector V,Saltlake KOLKATA.
this is a new place 4 me. it will take sometime to adjust here,
but i promise to update my bloggs at a regular interval.
thanks a lot 4 reading my bloggs.
Plz dont 4get 2 leave ur comments .....
happy dusshera.
I m working as a customer care executive in AEGIS BPO, for VODAFONE (Bihar & Jharkhand).
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but i promise to update my bloggs at a regular interval.
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happy dusshera.
Meri Madhushala
"lal sura si dhaar lapatetee,
keh na ise dena jwalaa
Yeh fenil madira hae mat isko,
keh dena ur ka chhaalaa
dard nashaa hae is madira ka,
vigat smrutiyan saaqi hein
peeda mein aanand jise ho,
aaey meri MADHUSHAALAA"
keh na ise dena jwalaa
Yeh fenil madira hae mat isko,
keh dena ur ka chhaalaa
dard nashaa hae is madira ka,
vigat smrutiyan saaqi hein
peeda mein aanand jise ho,
aaey meri MADHUSHAALAA"
मधुशाला
मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा
फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला।।१।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर
पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर
नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे
ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं
तुझ पर जग की मधुशाला।।२।
प्रियतम, तू मेरी हाला है,
मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर
तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता,
मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों
आज परस्पर मधुशाला।।३।
भावुकता अंगूर लता से
खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है
भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण-भर खाली
होगा लाख पिएँ,
दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले,
पुस्तक मेरी मधुशाला।।४।
मधुर भावनाओं की
सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला,
भरता हूँ इस मधु से
अपने अंतर का प्यासा प्याला,
उठा कल्पना के हाथों से
स्वयं उसे पी जाता हूँ,
अपने ही में हूँ मैं साकी,
पीनेवाला,
मधुशाला।।५।
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा
फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला।।१।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर
पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर
नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे
ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं
तुझ पर जग की मधुशाला।।२।
प्रियतम, तू मेरी हाला है,
मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर
तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता,
मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों
आज परस्पर मधुशाला।।३।
भावुकता अंगूर लता से
खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है
भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण-भर खाली
होगा लाख पिएँ,
दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले,
पुस्तक मेरी मधुशाला।।४।
मधुर भावनाओं की
सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला,
भरता हूँ इस मधु से
अपने अंतर का प्यासा प्याला,
उठा कल्पना के हाथों से
स्वयं उसे पी जाता हूँ,
अपने ही में हूँ मैं साकी,
पीनेवाला,
मधुशाला।।५।
Madhushala
"madiralaya jaane ko ghar se
chalta hai peenewala,
kis path se jaoon asmanjas mein hai bhola bhala,
alag-alag path batlate sab
par main yeh batlata hoon---
Raah pakar tu ek chala chal
pa jayega MADHUSHALA"......
chalta hai peenewala,
kis path se jaoon asmanjas mein hai bhola bhala,
alag-alag path batlate sab
par main yeh batlata hoon---
Raah pakar tu ek chala chal
pa jayega MADHUSHALA"......
मधुशाला.........
पित्र पक्ष में पुत्र उठाना
अर्ध्य न कर में,
पर प्यालाबैठ कहीं पर जाना,
गंगा सागर में भरकर हालाकिसी जगह की मिटटी भीगे,
तृप्ति मुझे मिल
जाएगीतर्पण अर्पण करना मुझको,
पढ़ पढ़ कर के मधुशाला।
अर्ध्य न कर में,
पर प्यालाबैठ कहीं पर जाना,
गंगा सागर में भरकर हालाकिसी जगह की मिटटी भीगे,
तृप्ति मुझे मिल
जाएगीतर्पण अर्पण करना मुझको,
पढ़ पढ़ कर के मधुशाला।
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