मुझे उसका नाम तक नहीं मालूम...
पर मन में बहुत दुःख है, निराशा है, क्रोध है, और सबसे ज्यादा शर्म है...
उसकी मौत के जिम्मेद्दार हम सभी हैं...
ना सरकार पलटने से हल निकलेगा और ना ही कानून बदलने से...
अपने अंदर की मानसिकता को बदलना होगा...
महिलाओं को देखने का नजरिया बदलना होगा...
जो सड़कों पर लूट ले नारी का सम्मान
ऐसा कैसे हो गया अपना हिन्दुस्तान...
शर्मिंदा इतिहास है और समय भी है हैरान
भारत मां की कोख से जन्मे कैसे कैसे हैवान...
© कृष सुधांशु
पर मन में बहुत दुःख है, निराशा है, क्रोध है, और सबसे ज्यादा शर्म है...
उसकी मौत के जिम्मेद्दार हम सभी हैं...
ना सरकार पलटने से हल निकलेगा और ना ही कानून बदलने से...
अपने अंदर की मानसिकता को बदलना होगा...
महिलाओं को देखने का नजरिया बदलना होगा...
जो सड़कों पर लूट ले नारी का सम्मान
ऐसा कैसे हो गया अपना हिन्दुस्तान...
शर्मिंदा इतिहास है और समय भी है हैरान
भारत मां की कोख से जन्मे कैसे कैसे हैवान...
© कृष सुधांशु
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