Welcome

You are most Welcome to the blog of Krish Sudhanshu. Keep visiting. :)
Showing posts with label Meri tuti futi shayari. Show all posts
Showing posts with label Meri tuti futi shayari. Show all posts

Friday, March 8, 2013

इतनी मिलती है मेरी कविताओं से सूरत तेरी...
लोग तुझ को मेरा महबूब समझते होंगे !!!

Krish Sudhanshu / कृष सुधांशु

Monday, January 23, 2012

मेरी टूटी फूटी शायरी

तेरे इश्क में पागल हुए, तो तसल्ली सी हुई,
पागलपने से कुछ कम होता, तो इश्क ना होता


कृष सुधांशु

Monday, September 19, 2011

मेरी टूटी फूटी शायरी : जाना कही और ही था

                              जिंदगी सीधी मिली थी
                       हम टेढ़े- टेढ़े चले





                            अब यहाँ आकर लगता है कि
                     जाना कही और ही था

Saturday, September 17, 2011

मैं ज़माना बदल के आता हूँ

जिंदगी तुम यहीं कहीं रहना


कुछ देर इंतज़ार करना


मैं ज़माना बदल के आता हूँ


वो ज़माना... जो कभी हुआ नहीं किसी का


कुछ देर के लिए उसे क़ैद कर के आता हूँ


                                     कृष सुधांशु 




Monday, September 12, 2011

मेरी टूटी फूटी शायरी 4

पतझड़ के मौसम में इस पेड़  का आखिरी पत्ता हूँ ...


बस... तुम आंधी की तरह मत आना...

मेरी टूटी फूटी शायरी 3

कमाल है भई...
लाशों के साथ सरकारी फ्लर्ट........
धमाके के बाद हाई अलर्ट......



Thursday, September 8, 2011

मेरी टूटी फूटी शायरी 2

           हसरते दीदार की खातिर उसके मोहल्ले में...
           मोबाइल रिचार्ज की दूकान खोल ली 
           पर यहाँ तो हर रोज़ एक नया शख्स...
           उसके नंबर पे 100 का रिचार्ज करवा जाता है

Saturday, September 3, 2011

मेरी अति भयंकर कविता


हमने जो कलम उठाई...  चाँद डर कर बादल की ओट हो गया
हमने चाँद पर "बारूद" लिखा और...  चाँद पर विस्फोट हो गया


आगे भी है...


लाल पीला रंग मुझे पसंद नहीं...  सूरज को आज नीला करूँगा
तू दे पिचकारी में रंग भरके...  सूरज को आज जम के गीला करूँगा


अगली पंक्तियों में प्रेम रस है....अर्ज किया है...


देख ले प्रेम मेरा एक दम सच्चा है...  शाहजहाँ तक मेरे आगे बच्चा है
तेरी मोती जैसी आँखों को निकाल के... सचमुच के मोती जड़वा दूंगा
कब्र मुमताज की खोद के...  तुझे ताजमहल में गड़वा दूंगा”


उम्मीद है अच्छी लगी होगी 
आपकी प्रतिक्रिया के इन्तजार में हूँ 
आगे भी प्रयास जारी रहेगा ... :)

मेरी टूटी फूटी शायरी 1

बारह दिन का अनशन !


अरे ! ये हुनर कोई उनको भी सिखा दे
जिनको रोटी मयस्सर नहीं

तभी लोग कहेंगे की देश के काम आये...