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Saturday, July 28, 2012

भुला दे मुझको


रूठना तेरा... मेरी जान लिए जाता है
हस्ते हुए आ... और रुला दे मुझको 
मुझे याद कर के तकलीफ ही होती होगी
एक किस्सा हूँ पुराना... भुला दे मुझको


© कृष सुधांशु

Friday, July 27, 2012

कर के देखना

लम्हा लम्हा किसी का इंतज़ार कर के देखना
कभी आप भी किसी से प्यार कर के देखना 


आप उनके दिल होंगे... जान होंगे... जहान होंगे
खुद को उनके लिए बेकरार कर के देखना 


अगर अजमाना हो अपनी मोहब्बत 
उन्हें भूलने का नाटक एक बार कर के देखना 


टूट जाते हैं खून के रिश्ते भी
गलतियाँ कभी दो चार कर के देखना


© कृष सुधांशु