समय-समय पर अलग-अलग हवा चलती है।
आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ हवा चल पड़ी है।
जिसे देखो, वही करप्शन के पीछे हाथ धोकर पड़ गया है।
शहर के कुछ कमिशनखोर डॉक्टरों ने संकल्प लिया है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे।
उधर वकील कह रहे हैं कि वे सचाई और ईमानदारी से कार्य करेंगे।
भगवान जाने कि वे वकालत करने जा रहे हैं या पुरोहिताई।
पंजीयन विभाग के बाबुओं ने तय किया कि अब से वे एक पैसा घूस नहीं देंगे।
पता चला कि वे भी भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। घूस लेने वाले को घूस देना पड़े तो अंतरात्मा को बहुत कष्ट होता है।
इसलिए भ्रष्टाचार विरोधी इस मुहिम में वे भी जुड़ गए हैं।
जिधर देखिए लोग भ्रष्टाचार के पीछे लट्ठ लेकर पड़े हैं।
एक चौराहे पर शहर के नामी-गिरामी बिल्डर और माफिया सरगना की फोटो लगी है और लिखा है कि भ्रष्टाचार भारत छोड़ो।
आज भ्रष्ट पुलिस अधिकारी से लेकर, कामचोर शिक्षक नेता और मिलावटी व्यापारियों से लेकर शोषक निजी स्कूल संचालक तक भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सक्रिय हैं।
अजीब तो लगता है पर इसमें मैं क्या कह सकता हूं। पूरे देश में ऐसी ही बयार चल रही है
आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ हवा चल पड़ी है।
जिसे देखो, वही करप्शन के पीछे हाथ धोकर पड़ गया है।
शहर के कुछ कमिशनखोर डॉक्टरों ने संकल्प लिया है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे।
उधर वकील कह रहे हैं कि वे सचाई और ईमानदारी से कार्य करेंगे।
भगवान जाने कि वे वकालत करने जा रहे हैं या पुरोहिताई।
पंजीयन विभाग के बाबुओं ने तय किया कि अब से वे एक पैसा घूस नहीं देंगे।
पता चला कि वे भी भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। घूस लेने वाले को घूस देना पड़े तो अंतरात्मा को बहुत कष्ट होता है।
इसलिए भ्रष्टाचार विरोधी इस मुहिम में वे भी जुड़ गए हैं।
जिधर देखिए लोग भ्रष्टाचार के पीछे लट्ठ लेकर पड़े हैं।
एक चौराहे पर शहर के नामी-गिरामी बिल्डर और माफिया सरगना की फोटो लगी है और लिखा है कि भ्रष्टाचार भारत छोड़ो।
आज भ्रष्ट पुलिस अधिकारी से लेकर, कामचोर शिक्षक नेता और मिलावटी व्यापारियों से लेकर शोषक निजी स्कूल संचालक तक भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सक्रिय हैं।
अजीब तो लगता है पर इसमें मैं क्या कह सकता हूं। पूरे देश में ऐसी ही बयार चल रही है
सोचता हूं कि अगर देश से सारा करप्शन मिट गया तो हमारे रिटायर्ड नौकरशाह और न्यायमूर्ति क्या करेंगे। इन आयोग वगैरहों का क्या होगा।
सुविधाभोगी कैसे पिछले दरवाजे से आगे जाएंगे।
वंचित का तो विनायक हो जाएगा।
मुझे तो डर है कि देश कहीं फिर सोने की चिड़िया न बन जाए
विदेशी आक्रमणकारियों की जीभ कहीं फिर न लपलपाने लगे।
न बाबा हम तो भले अपने ही हाल में।
हमें क्या मतलब इस अभियान से।
हम क्यों भिड़ें , हम तो पसर जाएं यही अच्छा है ।
बिछ जाएं तो और भी अच्छा है सुखद भविष्य के लिए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के खतरे हजार हैं प्यारे।
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