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Sunday, September 4, 2011

गुरु बिनु ज्ञान कहाँ जग माही

'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है।
लेकिन क्या आप इसके महत्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस माने साल में एक दिन बच्चों द्वारा टीचर्स को भेंट किया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी गिफ्ट। नहीं यह टीचर दिवस मनाने का सही तरीका नहीं है।


टीचर्स डे हम सभी मनाते आए है। आपने भी मनाया है। हमने भी मनाया है।
लेकिन इस दिन को मनाना तभी सही मायने में सार्थक सिद्ध होगा जब आप अपने टीचर के प्रति सही नजरिया रखें।


अगर आप शिक्षक दिवस का सही महत्व समझना चाहते है तो सर्वप्रथम आप इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि आप एक छात्र है, और ‍अपने शिक्षक से उम्र में काफी छोटे है। और फिर हमारे संस्कार भी तो हमें यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। अपने गुरु का आदर-सत्कार करना चाहिए। उनकी बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर आपने अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएँ तो निश्‍चित ही आपका व्यवहार आपको बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा। और तभी हमारा शिक्षक दिवस मनाने का महत्व भी सार्थक होगा।


राधाकृष्णन ने कहा था-
'यदि दुनिया में आए हैं और किसी भगोड़े के बदले सहज रूप से रहना चाहते हैं तो अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़ना होगा। विचार तर्कसंगत रखने होंगे, क्रियाओं को लाभप्रद रखना होगा और समाज में उन संस्थाओं को बनाना होगा, जो उसके शुभ को अक्षुण्ण रखें।


इन्ही पंक्तियों के साथ सभी शिक्षकों एवं छात्रों को   "शिक्षक दिवस" की ढेर सारी शुभकामनायें...
                                                        कृष सुधांशु 

2 comments:

  1. gd h ...baalak me guruji ki kripa bani rhegi ..or meri v ..he.he

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  2. dhanyawad deeps...happy teacher's day...

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