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Thursday, February 14, 2013

नर हो न निराश करो मन को

जो लोग इस वर्ष कोई प्रियतमा न होने के कारण वेलेंटाईन डे नही मना रहे .. उनके लिये कुछ प्रेरणास्पद पंक्तिया ( राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त के प्रति पूर्ण सम्मान रखते हुये )

" नर हो न निराश करो मन को
कुछ फ़्लर्ट करो कुछ फ़्लर्ट करो
रियल न सही तो आनलाईन ही
सर्च करो तुम सर्च करो

एकाउंट बनाया किस अर्थ अहो
वो भेजो रिक्वेस्ट , जो व्यर्थ न हो
प्रोफ़ाईल पिक पे मत जाओ
इनबाक्स के थ्रू मार्ग प्रशस्त करो ..
एक ब्लाक करे तो मत टूटो
बहुत सुंदरिया हैं अवलोकन को
नर हो न निराश करो मन को

मिल जाये कोई जो तुमको
तो उपहारों में धन खर्च करो
उपहारों मे क्या देना
सोचने मे समय मत खर्च करो
कुछ भी मंहगा पर
सस्ती सी कीमत वाला
लेकर उसे प्रजेंट करो
नर हो न निराश करो मन को

इतना सब कुछ हो जाये तो
जीवन में प्रेम सुधा घुल जाये तो
विश्वास भरो विश्वास करो
पर कभी न भूले से प्यारे
नारीत्व पर आघात करो
जिससे भी तुम प्रेम करो
अर्पण कर दो मन तन और धन को
नर हो न निराश करो मन को ..

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