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Sunday, July 29, 2012

RIP मेरी टूटी फूटी शायरी


बचपन से पढ़ने का शौक है मुझे और लिखने कि कोशिश करता हूँ... और इन्ही कोशिशों का नतीजा था मेरी टूटी फूटी शायरियां... फसबूक के सभी मित्रों को धन्यवाद जिन्होंने मुझे अपने लाइक्स और कमेंट्स से उत्साहित किया और मैं लिखता चला गया... आज कुछ भी लिखने का दिल नहीं कर रहा है. दिल बोझिल है और मन अशांत है... अब शायद आगे न लिख पाऊं... चलिए मेरी टूटी फूटी शायरी को श्रधान्जली देते हुए इसे विदा करते हैं...

RIP मेरी टूटी फूटी शायरी 

1 comment:

  1. av bahut kuch kehna baaki h,alvida abhi nhi...
    abhi aapki shayari ko chhune kai aayam baaki h,alvida abhi nhi
    zindgi me abhi kai mukaam baki h ,alvida abhi nhi

    : deeps

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