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Monday, October 10, 2011

Remembering Jagjit singh ji

शहर ए ग़ज़ल में शोग की चादर बिछी है क्यों
किस के लिए ग़ज़ल की ये खुशबू उदास है 
ऊकस की सदा ने मौत की वादी में घर किया
खामोश कौन हो गया, उर्दू उदास है

हमारे लिए ग़ज़ल का मतलब ही है जगजीत सिंह
                                      कृष सुधांशु 

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