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Thursday, October 2, 2008
मधुशाला.........
पित्र पक्ष में पुत्र उठाना
अर्ध्य न कर में,
पर प्यालाबैठ कहीं पर जाना,
गंगा सागर में भरकर हालाकिसी जगह की मिटटी भीगे,
तृप्ति मुझे मिल
जाएगीतर्पण अर्पण करना मुझको,
पढ़ पढ़ कर के मधुशाला।
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